2025 में दीपावली की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है। दरअसल 20 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर कार्तिक माह की अमावस्या शुरू होगी, जो 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। ऐसे में दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 21 अक्टूबर को, इसको लेकर अलग-अलग मत हैं। 
क्योंकि अमावस्या तिथि दो दिनों तक प्रभावी रहेगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे शुरू होगी और 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05:54 बजे समाप्त होगी। हिंदू पंचांग के नियमों के अनुसार, दीपावली उस दिन मनाई जाती है जब सूर्यास्त के समय अमावस्या तिथि प्रबल होती है। 20 अक्टूबर को सूर्यास्त (लगभग 05:40 बजे) के समय अमावस्या तिथि प्रभावी होगी। इस कारण 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को दीपावली का मुख्य उत्सव मनाया जाएगा। इसमें लक्ष्मी-गणेश पूजा की जाएगी और दीप जलाए जाएंगे।

 
दीपावली का उत्सव अंधेरे को मिटाने और जीवन में प्रकाश लाने का संदेश देता है। दीपावली की अमावस्या साल की सबसे बड़ी अमावस की रात होती है, इसके कारण इस दिन दीप जलाकर अंधेरे को मिटाया जाता है।


लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 05:40 बजे से 07:36 बजे तक। यह समय माता लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा के लिए सर्वोत्तम है। इस दौरान घर में दीप जलाएं और पूजा करें।

प्रदोष काल: शाम 05:40 बजे से 08:16 बजे तक। प्रदोष काल में पूजा शुरू करना शुभ फल देता है। इस समय दीप प्रज्वलन और मंत्र जाप करें।

वृषभ लग्न: रात 08:11 बजे से 10:07 बजे तक। यह स्थिर लग्न है, जो पूजा और नए कार्यों की शुरुआत के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

इन मुहूर्तों में पूजा करने से धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। पूजा के लिए सही समय का पालन करने से नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।

इस समय न करें पूजन - राहु काल: दोपहर 03:00 बजे से 04:30 बजे तक। इस समय कोई शुभ कार्य, जैसे पूजा या नया निवेश, शुरू न करें।

यमगण्ड काल: सुबह 09:00 बजे से 10:30 बजे तक। इस दौरान धार्मिक कार्यों से बचें और सावधानी बरतें।     गुलिक काल: दोपहर 12:00 बजे से 01:30 बजे तक। इस समय पूजा या उत्सव की शुरुआत न करें।