अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस'

विद्यार्थी जीवन में आपदा प्रबंधन महत्वपूर्ण - जिलाधिकारी प्रजीत नायर

 गोंदिया- आपदा प्रबंधन के पाठों को अपने जीवन में अपनाकर विद्यार्थी आपदा निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इससे आपदाओं की तीव्रता कम करने, जान-माल की हानि और वित्तीय नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है, ऐसा ज़िला कलेक्टर प्रजित नायर ने कहा।वे आज ज़िला कलेक्टर कार्यालय के ज़िला योजना समिति हॉल में आयोजित 'अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस' पर बोल रहे थे। इस अवसर पर निवासी उप-कलेक्टर भैयासाहेब बेहरे, उप-कलेक्टर (सामान्य) मानसी पाटिल भी उपस्थित थीं।

 कलेक्टर श्री नायर ने कहा कि आज, 13 अक्टूबर को, पूरे विश्व में 'अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस' मनाया जाता है। महाराष्ट्र के प्रत्येक ज़िले में 2006 में ज़िला आपदा प्रबंधन की स्थापना की गई है। छात्रों को प्राकृतिक आपदा में अपनी जान बचाने के लिए क्या करना चाहिए, इसके साथ ही बाढ़ की स्थिति में क्या बुनियादी उपाय करने चाहिए, इसकी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से, छात्रों को आपदा प्रबंधन का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और अपने परिवार, दोस्तों और परिचितों को आपात स्थिति में समयबद्धता का उपयोग करके आपदा प्रबंधन के बारे में बताना चाहिए।

'आपदा' का अर्थ समझाते हुए उन्होंने बताया कि आपदा एक ऐसा संकट है जो किसी राष्ट्र या समाज को बड़े पैमाने पर जनहानि, आर्थिक और सामाजिक क्षति पहुँचाता है, साथ ही उस राष्ट्र या समाज पर दूरगामी परिणाम डालता है।

आपदा प्रबंधन के 3 प्रमुख चरण इस प्रकार हैं। आपदा-पूर्व प्रबंधन- इसमें प्रशिक्षण, जन जागरूकता गतिविधियाँ, प्रणाली का अभ्यास और प्रदर्शन, आपदा प्रबंधन योजना तैयार करना और प्रणाली को सुसज्जित रखना, विभिन्न आपदा प्रतिक्रिया बलों के साथ संपर्क और समन्वय बनाए रखना शामिल है। आपदा प्रबंधन- वास्तविक आपातकाल की स्थिति में राहत कार्य की योजना बनाना और राहत प्रणाली के भीतर समन्वय बनाए रखना। आपदा-पश्चात प्रबंधन- आपदा के बाद किए जाने वाले राहत कार्यों को नियंत्रित करना, राहत और पुनर्वास योजना का उचित कार्यान्वयन करना।