जनसंवाद- अधिकारियो द्बारा प्रताड़ना से परेशान बैंक ऑफ बड़ौदा के मैनेजर की आत्महत्या
बारामती- बारामती में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। बारामती में एक बैंक मैनेजर द्वारा बैंक में ही फांसी लगाकर आत्महत्या करने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है। बारामती में बैंक ऑफ बड़ौदा के एक शाखा प्रबंधक ने आत्महत्या कर ली है।यह बात सभी जानते है कि बैंक प्रबंधन में आज कल कर्मचाारियों की भारी कमी है.। बैंक ऑफ बड़ौदा की हालत तो गोंदिया की शाखा को देखकरआसानी से लगाया जा सकता है. यही ही नहीं हर जगह जङाँ भी बैंक ऑफ बड़ौदा की साखा है वहाँ की भारी भीड़ का कारण विजया बैंक व देना बैंक के खातेदारों का एंकाउंट ट्रांसफर होना है।बेंक प्रबंधन सिर्फ पैसा बचाने की कोशिश में नए कर्मियों की नियुक्ति नहीं कर रहा और आशा करता है कि उसके कर्मचारी जानवरों जैसे बस काम ही करते रहे...बारामती के भीगवान रोड स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा के प्रबंधक शिवशंकर मित्रा ने कल (गुरुवार, 18 जुलाई 25 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। प्रबंधक का नाम शिवशंकर मित्रा है। मित्रा परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाला हैं। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने एक नोट में लिखा जिसका आशय है, वह बैंक के उच्च अधिकारियों के द्बारा ड़ाले जा रहे दबाव के कारण ही आत्महत्या करने मजबूर हो गए हैं।
आत्महत्या से पहले लिखे नोट में शिवशंकर मित्रा ने कहा, "मैं शिवशंकर मित्रा, बैंक ऑफ बड़ौदा, बारामती का शाखा प्रबंधक हूँ। बैंक के अतिरिक्त दबाव के कारण मैं आज आत्महत्या कर रहा हूँ। मैं बैंक से अपील करता हूँ कि कर्मचारियों पर इतना दबाव न डाला जाए। सभी को अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास है, सभी अपना शत-प्रतिशत देने की कोशिश कर रहे हैं। मैं पूरी तरह से सचेत और स्वेच्छा से आत्महत्या कर रहा हूँ। इसमें मेरे परिवार की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। मैं बैंक के अत्यधिक दबाव के कारण ऐसा कर रहा हूँ। पत्नी प्रिया, मुझे माफ़ कर देना, मेरी बेटी माही, मुझे माफ़ कर देना। हो सके तो मेरी दोनों आँखें दान कर देना।
मिली जानकारी के अनुसार, काम के भारी दबाव के कारण शिवशंकर मित्रा पिछले कुछ दिनों से तनाव में थे। इस बारे में अपने परिवार से चर्चा करने के बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का फैसला किया। उन्होंने पांच-छह दिन पहले बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। वह यह नौकरी छोड़ना चाहते थे, वह कई दिनों से अपने वरिष्ठों से कह रहे थे कि उन पर अतिरिक्त दबाव न बनाया जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस बात से निराश उन्होंने देर रात एक सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली। इसमें उन्होंने लिखा कि बैंक के अतिरिक्त दबाव के कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं।
यहाँ यह प्रश्न उठना लाजमी है कि जब शिवशंकर मित्रा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का फैसला कर चुके थे तब उनकी बात किसाी ने क्यों नही सुनी, आखिर क्या कारण था ? यह घटना एक भूला देने वाली सामान्य घटना नहीं है कि बस एक कर्मचारी मर गया तो .......... इस पर सोच -विचार करने की जरुरत है प्रबंधन की लापरवाही के कारण एक कर्मचारी को आत्महत्या करनी पड़े तो यह भी बात सामने आती है कि जब प्रबंधन करने की क्षमता ही नहीं तो क्यों बैको का विलय आपस में किया जाता है। विजया बैंक व देना बैंक ्अलग-अलग कार्यरत थे तो विना उचित प्रबंधन कर े जनता व कर्मचारियों को परेशान करने का नाटक क्यों किया गया. है किसी के पास इसका जबाब ?
-- मोहन पवार संपादक टी.आर.पी.न्यूज
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