पवारी बोली के संरक्षण हेतु साहित्य सम्मेलन आवश्यक : डॉ. विशाल बिसेन
आमगाँव - पाँचवाँ राष्ट्रीय पोवारी साहित्य सम्मेलन – 2025 अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ तथा उसकी साहित्यिक शाखा राष्ट्रीय पोवारी साहित्य समिति के तत्वावधान में, माँ गड़कालिका बहुउद्देशीय संस्था, आमगांव व स्थानीय आयोजन समिति के संयुक्त प्रयास से भवभूति महाविद्यालय, बनगांव, आमगांव में सम्पन्न 11 ता. को सम्पन हुआ।

     पोवार समाज की अस्मिता और अस्तित्व को जनमानस में बनाए रखने के लिए “पोवारी” मायबोली (बोलीभाषा) का जीवित रहना अत्यावश्यक है। जब तक बोली जीवित है, तब तक साहित्य की सृजनशीलता बनी रहेगी और साहित्य के प्रचार-प्रसार से पोवार समाज की संस्कृति को संरक्षित रखा जा सकेगा। उक्त उद्गार राष्ट्रीय पोवारी साहित्य सम्मेलन 2025 के अध्यक्ष पद से बोलते हुए डॉ. विशाल बिसेन ने व्यक्त किए।शिक्षा और आर्थिक प्रगति की दिशा में अग्रसर होते हुए समाज की युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से विमुख हो रही है, जो चिंताजनक है। पूर्वजों द्वारा सहेजी गई सुवर्णमयी संस्कृति को बनाए रखना आज समाज संघटन और साहित्यिक संस्थाओं के लिए एक बड़ा दायित्व है। ऐसे में पोवारी बोली और संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु साहित्यिक आयोजनों की निरंतरता अनिवार्य है। नवोदित लेखकों और कवियों को मंच देने, उन्हें प्रोत्साहन प्रदान करने तथा समाज को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने के उद्देश्य से यह साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया।


सम्मेलन का उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार व इतिहासकार प्राचार्य ओ.सी. पटले के करकमलों द्वारा हुआ। मंच पर प्रमुख अतिथि के रूप में भवभूति महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रल्हाद रहांगडाले, प्राचार्य बेनेश्वर कटरे, तथा स्वागताध्यक्ष इंजी. जयप्रकाश पटले उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय पोवारी साहित्य समिति के अध्यक्ष इंजि. गोवर्धन बिसेन ‘गोकुल’ ने सम्मेलन की भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने, नई पीढ़ी को गौरवशाली मायबोली से परिचित कराने तथा नवोदित साहित्यकारों को मंच देने हेतु किया गया है।

इस अवसर पर ‘पोवारी साहित्य सुरभि’ स्मारिका सहित अनेक साहित्यिक कृतियों का विमोचन किया गया:
‘पोवारों का इतिहास’ — प्रा. ओ.सी. पटले
‘मायबोली’ — हेमंतकुमार पटले
‘पोवारी पहचान’ — शारदा चौधरी
‘गायखुरी’ — वर्षा रहांगडाले
‘बिह्या का नेग-दस्तूर’ — यादोराव चौधरी
‘मयरी’ (द्वितीय संस्करण) — गोवर्धन बिसेन ‘गोकुल’
इस सत्र का संचालन शारदा चौधरी और आभार प्रदर्शन भोजराज ठाकरे ने किया।

काव्यपाठ प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार उमेंद्र बिसेन ‘प्रेरित’, द्वितीय पुरस्कार प्रा. मोतीलाल बिसेन, तथा तृतीय पुरस्कार वंदना बिसेन ‘रामकमल’ को प्रदान किया गया।दोपहर पश्चात परिसंवाद सत्र  मेंपरिसंवाद विषय 1: “पोवारी संस्कृति का अस्तित्व, आवश्यकता और संरक्षण” वक्ता: मुन्नालाल रहांगडाले (राष्ट्रीय संरक्षक सदस्य, महासंघ) एवं कोमलप्रसाद रहांगडाले थे।

विषय 2: “पोवारी साहित्य सृजन की आवश्यकता, संवर्धन और प्रचार-प्रसार” के वक्ता:
ऋषि बिसेन (IRS), अपर आयुक्त, आयकर विभाग एवं प्राचार्य डॉ. शेखराम येळेकर थे।

पुरस्कार वितरण :राष्ट्रीय महासचिव, पोवार महासंघ, प्राचार्य (सेवानिवृत्त) खुशाल कटरे की अध्यक्षता में समापन सत्र सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर निम्न सम्मान प्रदान किए गए:
स्व. हीरालालजी बिसेन (मरणोपरांत) — पोवार समाज रत्न सम्मान
स्व. मनराज पटले (मरणोपरांत) — पोवार समाज रत्न सम्मान
इंजी. महेन पटले — पोवारी इतिहास शोध सम्मान
हेमंतकुमार पटले — पोवारी कवि रत्न सम्मान
उत्कृष्ट पोवारी साहित्य पुरस्कार प्राप्त रचनाएँ:
‘पोवारी संस्कृति’ (कविता संग्रह) — ऋषि बिसेन
‘गावतर’ (बाल कथा संग्रह) — गुलाब बिसेन
‘मायारू मोरी बोली’ (कविता संग्रह) — उमेंद्र बिसेन
‘परी पोवारी’ (कविता संग्रह) — डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे
इस सत्र का संचालन गुलाब बिसेन ने किया तथा समापन आभार सुरेंद्र पटले ने व्यक्त किया।
अंत में सम्मेलन का समापन पोवारी पसायदान के साथ हुआ।